17 जुलाई 2010

ज्ञान के अभाव में मनुष्य चौपाए से कम नहीं

                                                   
                                                                                     -होरीलाल

पोथी बाँचने वाले ने बहुत पढ़ा,
कहने वालों ने भी कुछ कम नहीं कहा,
किन्तु करने वाले वह लोग हैं कहाँ ?
सुनने वालों ने एक कान से सुना
दूसरे से तत्काल निकाला,
अपना बोझ दूसरों पर डाला,
अरे । वह तो अभी भी बेजुबां हैं,
जिसने कदम-दर-कदम जु़ल्म सहा,

आज फिर उन लोगों की शख़्त ज़रूरत है
जब भी चेत जाएं वही मुहूरत है
श्रम, संयम, साधना को दिल से लगाए हुए,
तप, त्याग, संवेदना को मन में बिठाए हुए,
वह लोग जल्दी आगे बढ़ कर आएं,
जिनकी सोंच-आचरण से कुछ अच्छा होगा,
उनका कार्य ही अगली पीढी़ को प्रेरणा देगा।

हम मान भी लेते हैं-
अतीत बहुत चमकदार था,
चारों ओर खुशहाली, सारा जीवन गमकदार था,
परन्तु इतना जान भर लेने मात्र से
काम नहीं चलेगा यारों,
नए सिरे से विवेचना करनी होगी,
नई योजनाएं, नए प्राकलन बनाने होंगे,
सघन पहल करनी होगी,
देने होंगे कान यारों।

समय कुछ भी रहा हो,
समाज कैसा भी रहा हो,
शिक्षा की चुनौती, बड़ी चुनौती सदा रही है,
किसको शिक्षा, कैसी शिक्षा ?
कितनी शिक्षा का प्रयोग सदा ही चलता रहा
किन्तु
एक बहुत बड़ी जमात को सदा ही,
बिनु आँख-कान, बेजुबान बनाने का
षडयंत्र सफलता पूर्वक चलता रहा।

इतना सब होने के बावजूद भी
एकान्त साधना में लीन,
महर्षि मुनि शम्बूक, वीरवर एकलव्य,
शिव को सदा समर्पित कर्ण,
महामुनि कपिल, शुक्राचार्य
और गुरुवर नारायण.... की सारी पीढ़ी।
हम कायल हैं,
तुम्हारी संवेदना, तुम्हारी हिम्मत के
जिन्होंने उपेक्षितों को दिशा दी, दशा सुधारी,
हम कृतज्ञ हैं-तथागत स्वयं तुम्हारे
तुमने जीवनसूत्र दिया-
’अत्ताहि अत्तनो नाथो’,
’अत्त दीपा भव’,
’अत्त सरना विहरथ’-कहा
जिसके आलोक में सारी दुनिया ने
अपना रास्ता चुनने की कोशिश की,
आज भी सुमधुर विकासोन्मुख
शान्ति-पथ के प्रयत्न जारी,
तुम्हारे ही उस आलोक की किरण
बाबा बोधिसत्व अम्बेडकर के दुस्तर प्रयास से
तमाम लोगों को जीवनपथ की झलक दिखा गई,
हम ऋणी हैं, कृतज्ञ हैं
कोटिश: नमन प्रणाम है उनको।

मैं जिस नतीजे पर पहुँचा --
जो समाज त्यागी रहा, वैरागी रहा,
जिसने जलाई ज्योति ज्ञान की,
’अत्त दीपो भव’-कहा
जिसने इस सूत्र को जाना, समझा, माना,
निज आचरण में उतारा,
स्वयं उसकी, अगली पीढ़ियों की पहचान इंसान की रही,
अन्यथा--
ज्ञान-विज्ञान के अभाव में
मनुष्य की वह कौ़म
किसी चौपाए से कम नहीं।

              

पता-
एशिया लाइट शिक्षा संस्थान,
86-शेखूपुरा कालोनी, अलीगंज,



लखनऊ-226022
सचलभाष-+91-9415335792 

1 टिप्पणी:

  1. बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।

    जवाब देंहटाएं

आपकी मूल्यवान टिप्पणीयों का सदैव स्वागत है......